Srikanth Bolla Story in Hindi
श्रीकांत बोला एक ऐसा नाम है जो संघर्ष, साहस और सफलता का प्रतीक बन चुका है। जन्म से नेत्रहीन होने के बावजूद, उन्होंने अपने आत्मविश्वास और मेहनत के बल पर दुनिया के सामने यह साबित कर दिया कि असली अंधकार शरीर में नहीं, बल्कि सोच में होता है। आज वे न केवल एक सफल उद्यमी हैं, बल्कि लाखों लोगों के लिए प्रेरणा भी हैं।
बचपन और संघर्ष
श्रीकांत बोला का जन्म 1992 में आंध्र प्रदेश के एक छोटे से गाँव में हुआ था। उनका परिवार गरीब था और माता-पिता खेती से अपनी जीविका चलाते थे। जब श्रीकांत का जन्म हुआ, तो उनके माता-पिता को कई तानों और निराशाजनक बातों का सामना करना पड़ा। समाज के लिए एक नेत्रहीन बच्चा बोझ के समान था, लेकिन श्रीकांत के माता-पिता ने उनका साथ नहीं छोड़ा।
बचपन से ही श्रीकांत पढ़ाई में बहुत होशियार थे, लेकिन उनकी राह आसान नहीं थी। उन्हें आम स्कूल में प्रवेश नहीं दिया गया, क्योंकि शिक्षक मानते थे कि एक नेत्रहीन बच्चा पढ़ाई में कुछ नहीं कर सकता। लेकिन हार न मानते हुए, उन्होंने एक विशेष स्कूल में दाखिला लिया और अपनी मेहनत से सभी को चौंका दिया।
शिक्षा और IIT का सपना
Srikanth Bolla in Hindi
श्रीकांत पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहते थे और विज्ञान में गहरी रुचि रखते थे। जब उन्होंने 10वीं कक्षा में 90% अंक प्राप्त किए, तो उन्होंने विज्ञान विषय लेने की इच्छा जताई, लेकिन उन्हें यह कहकर मना कर दिया गया कि विज्ञान नेत्रहीन बच्चों के लिए नहीं है।
हालांकि, श्रीकांत ने हार नहीं मानी और अपने अधिकारों के लिए संघर्ष किया। कड़ी मेहनत और कानूनी लड़ाई के बाद, उन्हें विज्ञान विषय पढ़ने की अनुमति मिली। उन्होंने अपनी 12वीं की परीक्षा शानदार अंकों से उत्तीर्ण की और भारत के प्रतिष्ठित IIT संस्थानों में प्रवेश के लिए आवेदन किया, लेकिन उन्हें वहां भी निराशा हाथ लगी।

MIT तक का सफर
IIT में अस्वीकृति के बाद भी श्रीकांत रुके नहीं। उन्होंने विदेश में पढ़ाई के लिए आवेदन किया और उन्हें अमेरिका के मशहूर मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) में प्रवेश मिला। MIT में प्रवेश पाने वाले वे पहले नेत्रहीन भारतीय छात्र बने। यह उनके लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी, जिसने उनके आत्मविश्वास को और बढ़ा दिया।
बोलेंट इंडस्ट्रीज की स्थापना

अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, श्रीकांत भारत लौटे और समाज में कुछ सकारात्मक बदलाव लाने की ठानी। उन्होंने 2012 में “बोलेंट इंडस्ट्रीज” नामक कंपनी की स्थापना की, जिसका मुख्य उद्देश्य विकलांग लोगों को रोजगार के अवसर देना था।
श्रीकांत का मानना था कि शारीरिक अक्षमताएं किसी की काबिलियत को परिभाषित नहीं कर सकतीं। उनकी कंपनी पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद बनाती है और आज यह एक सफल उद्योग बन चुकी है, जिसमें सैकड़ों दिव्यांग लोग कार्यरत हैं।
प्रेरणा और सीख
Srikanth Bolla Story in Hindi : श्रीकांत बोला की कहानी हमें यह सिखाती है कि यदि आपके पास आत्मविश्वास, मेहनत और सही दिशा हो, तो कोई भी बाधा आपको सफल होने से नहीं रोक सकती। उन्होंने अपनी अक्षमताओं को अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया, बल्कि उन्हें अपनी ताकत बना लिया।
Srikanth bolla biography in hindi
श्रीकांत बोला की प्रेरणादायक कहानी अब बड़े पर्दे पर आ चुकी है! राजकुमार राव स्टारर यह बायोपिक दिखाती है कि कैसे एक नेत्रहीन लड़के ने समाज की बाधाओं को तोड़ते हुए बोलेंट इंडस्ट्रीज की स्थापना की। संघर्ष, हौसले और सफलता की यह कहानी हर किसी को जरूर देखनी चाहिए!
Srikanth Bolla Quotes
“अंधेरा केवल आंखों में नहीं, सोच में भी होता है – लेकिन जो दिल से देखता है, वही असली रोशनी पाता है।”
“अगर आपको अपनी जिंदगी की जंग जीतनी है तो बुरे समय में धैर्य बनाकर रखना चाहिए। अधिकतर लोग बुरे समय में धैर्य खो देते हैं और गलत फैसले कर लेते हैं।”
निष्कर्ष
आज श्रीकांत बोला एक सफल उद्यमी, समाजसेवी और प्रेरणादायक व्यक्तित्व हैं। उनकी सफलता यह साबित करती है कि असली शक्ति हमारे मन में होती है और दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं है। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर हम खुद पर विश्वास करें, तो कोई भी मुश्किल हमें रोक नहीं सकती।